पाकिस्तान को समर्थन देने वाले दोनों देशों के बहिष्कार का दिखने लगा असर, कैंसिलेशन पर 100 प्रतिशत दे रहे वापसी
लखनऊ। भारतीय सेना के आपरेशन सिंदूर से बौखलाया पाकिस्तान हमलावर हुआ तो तुर्किए और अजरबैजान से उसकी नजदीकियां सामने आ गई। भारतीय रिहायशी इलाकों में हमलों के लिए पाकिस्तान ने तुर्किए के ड्रोन व मिसाइल का भरपूर उपयोग किया। उसकी चाल असफल रही, लेकिन इसने दोनों देशों के प्रति भारतीय पर्यटकों की धारणा की बदल दिया। इन देशों से व्यापार और पर्यटन के बहिष्कार की मांग उठ रही है। इसका परिणाम यह रहा कि 11 से 13 मई के बीच तीन दिनों में ही सिर्फ उत्तर प्रदेश के 15 पैकेज हजार पर्यटकों ने अपने टूर की बुकिंग रद करा दी, जो अभी जारी है।
इसे राष्ट्रीयता की प्रबल भावना ही कहेंगे कि पर्यटन की दृष्टि से खूबसूरत तुर्किए, अजरबैजान के चेहरे से नकाब उतरते ही काक्स एंड किंग, इज माई ट्रिप, आइएसओटीसी समेत बड़े-छोटे सभी टूर कंपनियों ने दोनों देशों का टूर प्रमोशन तत्काल बंद करते हुए कैंसिलेशन पर 100 प्रतिशत रिफंड की घोषणा कर दी। एअर इंडिया ने भी कुछ ऐसा ही किया। टूरिस्ट गाइड फेडरेशन आफ इंडिया के राष्ट्रीय संयोजक व प्रेशियस जर्नी टूर कंपनी के सीइओ डा. अजय सिंह बताते हैं कि पिछले साल तुर्किए का सिर्फ यूपी में ३४०० करोड़ का पैकेज बिका था। इस बार उसे पाकिस्तान की मदद की कीमत चुकानी पड़ रही है। कारण यह कि वहां की कुल जीडीपी का 12 प्रतिशत व अजरबैजान का 10 प्रतिशत पर्यटन से आता है। दोनों देशों में 40 प्रतिशथ पर्यटक भारत से जाते हैं। पिछले साल यूपी से 37,500 लोग तुर्किए और अजरबैजान गए थे। इनमें वाराणसी, मऊ, गाजीपुर, गोरखपुर, बस्ती, श्रावस्ती, बहराइच समेत पूर्वांचल व अवध क्षेत्र के मुस्लिम बहुल इलाकों के लोग अधिक थे।
हिमाचल की बुकिंग फुल, अब नार्थ इस्ट की ओर
प्रदेश में सैलानियों का रुझान स्वदेशी हिल स्टेशन की ओर बढ़ा है। इसमें हिमाचल प्रदेश का किन्नौर बड़ी पसंद बनकर उभरा है। हिमाचल प्रदेश ने भी टूर प्रमोशन तेज कर दिया है। शिमला के होटलों में तो तीन दिनों में दो माह के बराबर बुकिंग हो गई है। इस स्थिति को देखते हुए लोग दार्जिलिंग, गंगटोक, शिलांग, अरुणाचल प्रदेश समेत नार्थ-ईस्ट की ओर भी जा रहे हैं। अभी माह भर पहले तक गुवाहाटी के लिए पांच दिन पहले की ट्रेनों में टिकट मिल जाता था। अब 100 तक वेटिंग है। यह स्थिति जून तक है।
तुर्किए की इस्तांबुल यूनिवर्सिटी के साथ एमओयू रद किया
कानपुर। वर्तमान परिस्थितियों और तुर्किए के व्यवहार” को देखते हुए छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) ने इस्ताबुल यूनिवर्सिटी के साथ हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) को रद कर दिया है। कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर को पत्र लिखकर फैसले की जानकारी दे दी है। कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने बताया कि इस्तांबुल विश्वविद्यालय के साथ शैक्षिक गतिविधियों और अनुसंधान के लिए करार किया गया था। अभी इस दिशा में काम होना बाकी था, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों और तुर्किए के व्यवहार को देखते हुए एमओयू को रद किया गया है।
ऐसे देश के साथ कोई साझेदारी नहीं की जा सकती जो भारत विरोधी है। कुलपति की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि सीएसजेएमयू कानपुर तत्काल प्रभाव से एमओयू को औपचारिक रूप से समाप्त करता है। यह निर्णय सीधे तौर पर तुर्किए द्वारा एक ऐसे राष्ट्र के साथ गठबंधन के लिए अपनाए गए गंभीर भू-राजनीतिक रुख से उपजा है जो भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए खुले तौर पर शत्रुतापूर्ण है।
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